शेर,शियार, चीता और मूर्ख ऊंट की कहानी

The Story Of The Lion, Tiger And Foolish Camel Children  Story

 ये जंगल की बात हैं जिसका मालिक था शेरसिंह, उसके मंत्री मंडल में शामिल थे एक शियार, एक कौवा और एक चीता. 


शेर जो भी काम करता वो इन तीनों की रज़ामंदी और सलाह लेने के बाद ही करता था.  एक बार उस घने जंगल में दूर रेगिस्तान से एक ऊंट रास्ता भटक कर चला आया. उसने शेर से कहा, महाराज मुझे यहाँ पर रहने के लिए थोड़ी से जगह मिल जाये तो बहुत मेहरबानी होंगी. शेर को उस पर दया आ गई उसने उस ऊंट को अपनी गुफ़ा में रहने की इज़ाजत दे दी. लेकिन ये बात शियार, चीते और कौंवे को हज़म नहीं हुई. वो उस ऊंट को खाना चाहते थे लेकिन अब उनके अरमानों पर पानी फिर गया. कई दिन बीत गए इधर शेर जो भी शिकार करता उसका कुछ ही हिस्सा खा पाता और बाकि वो तीनों खा जाते. शेर दिन प्रतिदिन कमज़ोर होता चला गया अब तो उससे शिकार भी नहीं हो पाता था. एक दिन शियार ने शेर से कहा कि, "महाराज क्यों न आप इस ऊंट को खा जाये?" शेर ने मना कर दिया और कहा, अगर वो ख़ुद आकर समर्पण कर देगा तो मैं उसे खा लूंगा. शियार और चीते ने चालाकी से ऊंट से जा कर कहा कि, " महाराज बीमार है और हमारे कहने पर हमें खाने से इंकार कर दिया और उनकी ये दशा हमसे देखि नहीं जा रही तुम चलकर एक बार महाराज से मिल लो." ऊंट उनकी बातों में आ गया और महाराज के पास जाकर बोला, " महाराज अब बहुत बीमार हैं आप मुझे खा लीजिये. उसने सोचा था की जैसे महाराज ने इन्हें छोड़ दिया वैसे ही मुझे भी छोड़ देंगे." लेकिन उसके विपरीत शेर ने उसपर आक्रमण करके उसे वहीँ ढेर कर दिया और ऊंट तो तुरंत मर गया. अंत में उन चारों ने उसको चट कर गए. 

कहानी से सीख 

कभी भी किसी की चापलूसी भरी बातों में नहीं आना चाहिए. अपने बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए.