जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 - 15 नवंबर 1937)

Jai Shankar Prasad Biography

जयशंकर प्रसाद हिन्दी कवि, नाटककार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे. वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं.

जयशंकर प्रसाद का जन्म माघ शुक्ल  30 जनवरी 1889 ई० को बनारस के सुंघनी साहु परिवार में हुआ. महाकाल की आराधना के फलस्वरूप पुत्र जन्म लेने के कारण बचपन में जयशंकर प्रसाद को 'झारखण्डी' कहकर पुकारा जाता था. इनकी पहली काव्य संग्रह 'चित्राधार'  है. जो सन् 1918 में प्रकाशित हुआ था. इसमें उनके ब्रजभाषा और खड़ी बोली में कविता, कहानी, नाटक, निबन्धों का संकलन किया गया था. 

 क्षय रोग से नवम्बर 14 1937 (दिन-सोमवार) को प्रातःकाल (उम्र 47) उनका देहान्त काशी में हुआ

तुम कनक किरन / जयशंकर प्रसाद

तुम कनक किरन के अंतराल में

लुक छिप कर चलते हो क्यों ?

नत मस्तक गवर् वहन करते

यौवन के घन रस कन झरते

हे लाज भरे सौंदर्य बता दो

मोन बने रहते हो क्यो?

अधरों के मधुर कगारों में

कल कल ध्वनि की गुंजारों में

मधु सरिता सी यह हंसी तरल

अपनी पीते रहते हो क्यों?

बेला विभ्रम की बीत चली

रजनीगंधा की कली खिली

अब सांध्य मलय आकुलित दुकूल

कलित हो यों छिपते हो क्यों?

कृतियाँ

काव्य

  • आँसू, लहर तथा कामायनी  
  • कानन कुसुम
  • महाराणा का महत्व
  • झरना (1918)
  • आंसू
  • लहर
  • कामायनी (1935)
  • प्रेम पथिक

कहानी

सन्‌ 1912 ई. में 'इंदु' में उनकी पहली कहानी 'ग्राम' प्रकाशित हुई. उन्होंने कुल 72 कहानियाँ लिखी हैं.  

  • छाया
  • प्रतिध्वनि
  • आकाशदीप
  • आंधी
  • इन्द्रजाल

नाटक

  • स्कंदगुप्त
  • चंद्रगुप्त
  • ध्रुवस्वामिनी
  • जन्मेजय का नाग यज्ञ
  • राज्यश्री
  • कामना
  • एक घूंट