रामायण से मिलती है ये 5 ज्ञानवर्धक बातें, बदल जायेगा आपका जीवन

5 Good Qualities to learn from Ramayana

हिन्दू धर्म में रामायण का अपना एक खास महत्व हैं. इसकी रचना आज से कई सौ साल पहले महृषि वाल्मीकि ने की थी. वाल्मीकि रामायण मूलतः संस्कृत में लिखी गई है. 

जोकि संस्कृत भाषा में लिखी गई सबसे ज्यादा चर्चित किताब मानी जाती हैं. रामायण की कहानी अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े बेटे और भगवान विष्णु के 7 अवतार राम के ऊपर केंद्रित हैं. भगवान राम मर्यादापुरुषोत्तम, कर्तव्य परायण, वचन पालक, मृदुभाषी, धैर्यवान, और शांत स्वभाव के हैं. भारत के साथ-साथ कई सारे देशों में भगवान राम को एक आदर्श के रूप में देखा जाता हैं. अगर कोई भी मनुष्य रामायण का पाठ करता है, तो उसे जीवन के 7 ऐसे मंत्रों के बारे में पता चलता हैं. जो उसका जीवन बदल सकते हैं. तो आइये जानते हैं रामायण की उन 5 ज्ञानवर्धक बातों के बारे में.... 

धैर्यवान बनना 

इंसान के जीवन में सबसे बढ़ी कमजोरी होती है कि वो धैर्य नहीं रख पाता हैं. बहुत ही जल्दी उसके सब्र का बांध टूटने लगता है. ऐसे में रामायण हमें धैर्यवान होने की सीख देता हैं. सीता स्वयंवर में भगवान श्रीराम ने शिव-धनुष उठाते समय कहीं भी शक्ति प्रदर्शन नहीं किया. उन्होंने सब्र रखा और बहुत ही आसानी से धनुष को उठाया था. 

ठीक इसी प्रकार से हनुमान जी भी चाहते तो अशोक वाटिका से माँ सीता को अकेले लेकर आ सकते थे. उनके जितना पराक्रम और बाहुबल किसी में नहीं था. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भी अपना धैर्य नहीं खोया. 

इसलिए हमें भी मुश्किल से मुश्किल परिस्थितयों में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए. 

संगत अच्छी होनी चाहिए 

उपनिषद भी ये बात कहते हैं कि मनुष्य जैसी संगत में बैठता हैं. उसकी प्रवृति वैसे ही होती जाती है. ठीक इसी प्रकार की घटना का उल्लेख रामायण में भी देखने को मिलता हैं. रानी कैकेयी पुत्रमोह में दासी मंथरा की संगत में उठने-बैठने लगती हैं. जिसकी वजह से उनकी प्रवृति भी बदल जाती है. जो अपने पुत्र भरत से ज्यादा प्यार राम को करती थी. वही कैकेयी मंथरा की संगत में आकर राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांग लेती हैं. इसलिए इंसान को अपनी संगत हमेशा अच्छी रखनी चाहिए. तभी वो बुराइयों से दूर रहता हैं. 

पुत्र धर्म का पालन 

राजा राम से हमेशा एक आदर्श पुत्र के गुण सीखे जा सकते हैं. उन्होंने अपने पिता के  दिए हुए एक वचन के लिए 14 वर्षों का वनवास सहर्ष स्वीकार किया था. जो ये स्पष्ट दिखाता है कि भगवान राम एक सच्चे पुत्र थे. जिन्होंने पुत्र धर्म का पालन किया. इसलिए आज की और आने वाली पीढ़ियों को भगवान राम और रामायण से ये गुण सीखने चाहिए. 

एकता का सूत्रपात किया 

भगवान राम के जीवन चरित्र पर आधारित रामायण में एकता का ज्ञान मिलता हैं. उन्होंने लंका विजय से लेकर अयोध्या वापसी तक. हर एक जगह एकता की मिशाल कायम की है. हर एक इंसान, जानवरों और पशु-पक्षियों के बीच प्रेम का संचार किया हैं. रामायण से हमें एकता का ज्ञान मिलता है. ये हमें एकता के धागे में बंधे रहने का ज्ञान देता हैं. 

रिश्तों की अहमियत 

रामायण हमें सच्चे रिश्तों की अहमियत समझाता हैं. रामायण ये बताता है कि इंसान के रिश्ते ही उसके असली धन-दौलत और सम्पत्ति हैं. इसकी सबसे अच्छी मिशाल लक्ष्मण और भरत ने कायम की. राम के बाद वादे के मुताबिक भरत को राजा बनाया गया. लेकिन उन्होंने राजसिंहासन को ठुकरा कर कुटियाँ में शरण ली. वो खुद राज गद्दी पर नहीं बैठे, बल्कि भगवान राम का 14 वर्षों तक इंतजार करते रहे. तो वहीं लक्ष्मण ने आदर्श अनुज बनकर हर पल राम जी की सेवा में उपस्थित रहे.