कौवा और दुष्ट सांप की कहानी

एक बरगद के पेड़ पर कौवा और उसकी पत्नी कई सालों से रहते थे.  वहां पर बहुत ही ख़ुशहाली थी.  

वे दोनों  बहुत ख़ुशी से रहते थे. एक दिन बहुत ज़ोर की बारिश हो रही थी उसी का फायदा उठा कर एक सांप वहां पर आ गया. अब वो भी वहीं रहने लगा. कुछ दिनों तक उसने कुछ नहीं किया इसलिए कौवा और उसकी पत्नी को कोई ख़तरा नहीं लगा. लेकिन एक दिन जब वे दोनों दाना लेने के लिए दूर उड़ कर गए हुए थे तभी सांप ने उनके घोसले में घुस कर उन्हें अंडे खा लिए और चुप चाप अपने बिल में लौट आया. कौवा को जब ये पता चला तो वे दोनों बहुत दुखी हुए. लेकिन उसके डर से कुछ नहीं कर सके. अब तो ये हर रोज की बात हो गयी थी. 

एक दिन दोनों ने फैसला किया की वो दोनों वहां से उड़कर कहीं दूर चले जाएंगे, लेकिन उससे पहले वो दोनों अपने दोस्त लोमड़ी के पास चले गए. लोमड़ी ने देखा की वो दोनों बहुत ही दुखी थे. उसने पूछा क्या हुआ? तब दोनों ने सारी  कहानी कह सुनाई. लोमड़ी ने उन दोनों को सलाह दिया की तुम घर छोड़कर नहीं जाओ और एक काम करो. 

अगले दिन कौवा उसी तालाब के पास गया जहाँ लोमड़ी ने बताया था, उसने देखा कि वहां पर कोई राजकुमारी नहाने आई थी. उसने लोमड़ी की योजना के अनुसार वहां से उनका हार छीनकर भाग गया. सिपाहियों ने उसका खूब दूर तक पीछा किया और अंत में देखा की उसने वो हार एक बिल में दाल दिया. सिपाहियों ने डंडे से बिल में हार निकालने की कोशिश की और तभी वो सांप बाहर आ गया और सिपाहियों ने उसको मार डाला. 

शिक्षा – बुद्धि से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है.