क्या आप जानते हैं कि ये क, ख, ग, घ,....... कहाँ से आया? इसको लाने वाला कौन था?

From where the concept of क, ख, ग, घ come out?

हिंदी हमारी मातृभाषा हैं. इसके बारे में हम सभी को जानकारी हैं. बचपन से ही हम अपनी मातृभाषा में ही बात करते हैं. सबसे पहले जब हम स्कूल जात्ते हैं. या पढ़ना-लिखना सीखते हैं. तो हमें क,ख,ग,घ,..... पढ़ना सीखते हैं. क, ख, ग, घ,....ही इस भाषा की बेसिक हैं.

 इन्हीं से ही पूरी हिंदी भाषा संचालित होती हैं. बिना इनके ज्ञान के आप हिंदी लिख-पढ़ या बोल नहीं सकते हैं. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा हैं कि ये क, ख, ग, घ,.... आया कहाँ से? इसकी शुरुआत कैसे हुई? इसे लाने वाला कौन था? हर एक चीज के पीछे कोई ना कोई कारण और शख्स जरूर होता हैं. जो उसे सबसे पहले ईजाद करता हैं. मगर इसके बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी होती हैं. आज हम आपको क, ख, ग, घ,.... की शुरुआत के पीछे छुपे इसी राज के बारे में बताने जा रहे हैं. 

गुजरात से हुई थी इसकी शुरुआत 

हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता हैं. जिसकी शुरुआत 8वीं और 9वीं शताब्दी के समय हुई. इसका प्रमाण गुजरात के नरेश जयभट्ट के एक शिलालेख से मिलता हैं. सबसे पहले इसका इस्तेमाल राष्ट्रकुल नरेशों के साम्राज्य में होता था. इसके बाद 9वीं शताब्दी में इसका इस्तेमाल बड़ौदा के ध्रुवराज वंश के लोगों ने भी इसका इस्तेमाल करना शुरू किया. 

कैसे पड़ा इस लिपि का नाम 

ये बात तो स्पष्ट हो गई कि क, ख, ग, घ,.... की शुरुआत कई सालों पहले गुजरात से हुई क्योंकि ये देवनागरी लिपि के अक्षर हैं. जिनका इस्तेमाल देवनागरी लिपि में ही होता हैं. अब सवाल उठता हैं कि इस लिपि का नाम कैसे पड़ा? तो इसका जवाब मिलता हैं. देव भाषा संस्कृत से क्योंकि हिंदी देवनागरी का उदय संस्कृत से ही हुआ हैं. संस्कृत को हिंदी भाषा की जननी कहा जाता हैं. संस्कृत चूँकि देवों की भाषा थी इसलिए इससे निकलने वाली हिंदी की लिपि का नाम भी देवनागरी हो गया. 

इस लिपि में 14 स्वर और 38 व्यंजन होते हैं 

इस लिपि में कुछ अक्षरों की संख्या 52 होती हैं. जिसमे से 14 स्वर और 38 व्यंजन होते हैं. स्वर का इस्तेमाल करके ही हम मात्राएँ लगाते हैं. साथ ही इन सभी अक्षरों को मिलाकर ही वर्ण का निर्माण होता हैं. फिर वर्णों को मिला करके वाक्यों का निर्माण होता हैं. जिसके बाद कविता, कहानी, उपन्यास आदि लिखे जाते हैं.