कैसे पड़ा इतने स्वादिष्ट फल का नाम लगंड़ा आम? क्या हैं इसकी कहानी?

How does this tasty mango called langra aam? What is the story of it?

भारत अकेले दुनिया के 40 बड़े देशों को आम सप्लाई करता हैं. आम खाना बच्चों से लेकर बड़ो तक हर किसी को पसंद होता है.  ताज पके हुए रसीले आम हर कोई खाना पसंद करता है. आम ज्यादातर फलों की ही तरह है. 

आम खाना सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद होता है जितना कि बाकी के फल होते है. आम को लोग फलों का राजा भी कहते है. साथ ही इसकी कई प्रजातियां पायी जाती है. आम को फलों का राजा कहा जाता है. साथ ही आम के दीवाने भारत के कोने-कोने में मिल जाते हैं. शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो ये कहेगा कि उसे आम खाना बिल्कुल भी पसंद नहीं है. आम खाने में बहुत ही टेस्टी होता है. आम को हम नाश्ते में, या फिर दोपहर और शाम के खाने के साथ भी कर सकते है. तो वही दूसरी तरफ हम कच्चे आम से, चटनी, मुरब्बा, अचार आदि स्वादिष्ट डिश बना सकते है

साथ ही इसकी कई प्रजातियां पायी जाती हैं जो गर्मी के मौसम ही उपलब्ध होते हैं. इसकी कई सारी प्रजतियों में से एक खास प्रकार की को लंगड़ा आम के नाम से जाना जाता हैं. लंगड़ा आम आप सभी लोगों ने खाया होगा. ये खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं. 

लेकिन इसका नाम लंगड़ा आम क्यों हैं? इतने बेहतरीन आम का नाम कोई लंगड़ा भला कैसे रख सकता हैं? इसके पीछे एक बहुत ही इंटरेस्टिंग फैक्ट शामिल हैं. जिसके बारे में बहुत कम लो जानते हैं. 

लंगड़ा आम की शुरुआत बनारस से हुई, 300 साल पुराना हैं इतिहास 

इतने स्वादिष्ट लंगड़ा आम की शुरुआत आज से करीब 300 साल पहले बनारस से हुई. इसकी पहली फसल यहीं पर हुई थी. बनारस के शिव मंदिर में एक पुजारी हुआ करते थे. जो दिव्यांग थे, उनके पैर में कुछ खराबी थी. जिसकी वजह से वो लंगड़ा कर चलते थे. 

एक दिन इस मंदिर में एक साधु आये और उन्होंने इस पुजारी को दो आम के फल दिए. जिसे खाने के बाद उसके बीज को पुजारी ने वहीं मंदिर के पास ही लगा दिया. इसके बाद जब पेड़ बड़ा हुआ तो फल देने लगा. धीरे-धीरे ये आम पूरे बनारस में मशहूर हो गया. जो आज पूरे भारत में पाया जाता हैं. इन्हीं पुजारी की दिव्यांगता के कारण ही इसका नाम लंगड़ा आम पड़ा.