दिल ना उम्मीद तो नही….नाकाम ही तो है,
लंबी है गम की शाम मगर शाम ही तो है…
अपने साये से भी अश्कों को छुपा कर रोना
जब भी रोना तो चिरागों को बुझा कर रोना
जहाँ चोट खाना वहां मुस्कुराना
मगर इस अदा से के रोये सारा ज़माना
सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा,
हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |
Kaise Ek Laphz Mein Bayaan Kar Doon Dil Ko Kis Baat Ne Udaas Kiya
Na Samajh Sakoge Qayamat Tak Jise Tum,,
Qasam tumhari tumhen itna pyar karte hain..