जबसे प्यार में धोका खाया है ,हर हुस्न वालों से डर लगता है …पहले अंधेरे की आदत नहीं थी मुझे ,अभी उजालों से डर लगता है … ।।
न कुर्बतों मेंसुकून हैन फासलों में करार हैना वस्ल में मज़ा हैन हिज़्र मेंवो सज़ा हैमैं कहूँ जान की आफततुम कहते हो कि प्यार है
DHOKHA MILA JAB PYAAR ME,
ZINDAGI ME UDASI CHHA GAYI,
SOCHA THA AAG LAGA DEGE ISS DUNIYA KO,
KAMBAKT TABHI DUSRI PASAND AA GAYI......
पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैंज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं
मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर मेंमगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं
Na Waqif The Hum Chahat K Asulon Se, Is Liye Barbaad Huye…..
Na Usne Apna Banaya Na Kisi Aur K Qabil Chodha..