गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका
जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका
तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती,नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती,तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है,फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती.
अगर मुसीबतें है तो मुस्कुरा के चल,
आँधियों को पैरों तले दबा के चल,
मंजिलों की औक़ात नही तुझसे दूर रहने की,
विश्वास इस क़दर खुद में जगा के चल.
दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू,
मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू,
चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर,
मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू।
हर किसी के नसीब मेँ कहाँ लिखी है चाहतेँ,
कुछ लोग दुनिया मेँ आते है फ़कत तन्हाइयों के लिये॥