ये जो मैं हूँ.. कुछ नहीं हूँ.. बस तेरी नज़र का कमाल है lमैं कब सच्चा हूँ, कब झूठा हूँ.. ये मेरे लिए भी सवाल है l
सोचा किसी ख़ास से बात करे,
अपने किसी अपने को याद करें.
किया जो निर्णय नए साल की शुभकामनाएं देने का,
दिल ने कहा क्यों न आरम्भ आप से करें.
HAPPY NEW YEAR 2021
उसी का शहर, वही मुद्दई, वही मुंसिफ
हमीं यकीन था, हमारा कुसूर निकलेगा
यकीन न आये तो एक बार पूछ कर देखो
जो हंस रहा है वोह ज़ख्मों से चूर निकलेगा
सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा,
हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |
मैं तेरे हिज़ार की बरसात में कब तक भीगू!!ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती है..