कुछ इस तरह से वफ़ा की मिसाल देता हूँ
सवाल करता है कोई तो टाल देता हूँ
उसी से खाता हूँ अक्सर फरेब मंजिल का
मैं जिसके पाँव से काँटा निकाल देता हु …
आपकी यादें भी हैं, मेरे बचपन के खिलौनो जैसी ..
तन्हा होते हैं तो इन्हें ले कर बैठ जाते हैं…!
न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हम,
जिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम।
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।
मुझसे नफरत करनी है तो इरादे मजबूत रखना वरना जरा सी भी चुके तो मोहब्बत हो जायेगी...