हर खामोशी का मतलब इंकार नहीं होता,हर नाकयाबि का मतलब हार नही होता,तो क्या हुआ अगर तुम्हें हम पा ना सके,सिर्फ पाने का मतलब प्यार नहीं होता,
हर खामोशी का मतलब इंकार नहीं होता,
हर नाकयाबि का मतलब हार नही होता,
तो क्या हुआ अगर तुम्हें हम पा ना सके,
सिर्फ पाने का मतलब प्यार नहीं होता,
उसने मोहब्बत, मोहब्बत से ज़्यादा की थी,
हमने मोहब्बत उस से भी ज़्यादा की थी,
वो किसे कहेंगे मोहब्बत की इन्तहा,
हमने शुरुआत ही इन्तहा से ज़्यादा की थी.
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे,
मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो।
हम है वफ़ा के पुजारी , हरदम वफ़ा करेंगे,
एक जान रह गयी है , इससे भी तुम पर फ़िदा करेंगे.
अल्लाह करे तुमको भी हो चाह किसी की,
फिर मेरी तरह तू भी, राह देखे रहा किसी की
हमसे ना कट सकेगा अंधेरो का ये सफर
अब शाम हो रही हे मेरा हाथ थाम लो।