तेरा चेहरा देखू तोजन्नत का एहसास हो जाता है..और जब उसपे हलकी सी मुस्कान आती हैं, तो खुदा को पाता हूं..
तेरा चेहरा देखू तो
जन्नत का एहसास हो जाता है..
और जब उसपे हलकी सी
मुस्कान आती हैं, तो खुदा को पाता हूं..
ऐ बेदर्द… सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ‘ख़ैरियत’ पूछने…अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए.
मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से
तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से
“तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं”….
दर्द हैं दिल में पर इसका ऐहसास नहीं होता,
रोता हैं दिल जब वो पास नहीं होता,
बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत में,
और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होता!