हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकर
हाथ दिल से जुदा नहीं होता
तुम हमारे किसी तरह न हुए
वार्ना दुनिया में क्या नहीं होता
काश तकदीर भी होती किसी जुल्फ की तरह…
जब जब बिखरती संवार लेते…
Sadiya Guzar Gayi Kisi Ko Apna Bnane Me...
Magar Pal Bhi Na Laga Unhe Hamse Door Jane Me...
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझकोइस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये