"हर सुबह अंतिम और शाम आख़री हो सकती है,दो पल की ज़िंदगी, एक पल में बड़ी हो सकती है,
उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगो की तरह हम,वक़्त की टहनी पर हैं परिंदो की तरह हम।
Main Chahta Hun Aik Aasiyana HoJo Wabasta Sirf Tum Se Ho
Dil Ki Dahleez Par Rakh Kar Teri Yaadon Ke Chiraag
Humne Duniyan Ko Mohabbat Ke Ujaale Bakhshey
सीतल-सीतल वायु चली,
आकाश हुआ सुहाना,
अनपढ़ भी व्हाट्सऐप पढ़ने लगे,
शिक्षित हुआ ज़माना....