"होती हो ओझल नज़रों से,
ढूंढ़ती है आँखे तुम्हें,
जैसे खोजता कोई शहर-शहर,
ऑक्सीजन सैलेंडर है l"
दोस्त बनकर भी वो नहीं साथ निभानेवाला,
वही अंदाज़ है उस ज़ालिम का ज़माने वाला।
चलो आज खामोश प्यार को इक नाम दे दें,अपनी मुहब्बत को इक प्यारा अंज़ाम दे देंइससे पहले कहीं रूठ न जाएँ मौसम अपनेधड़कते हुए अरमानों एक सुरमई शाम दे दें !
शिकवा भी होगा हमसे शिकायत भी होगी,
पर दोस्त से गिला किया नहीं करते।
हम अच्छे नहीं बुरे ही सही,
तुम्हें वैलेंटाइन मुबारक हो,
लेकिन हम जैसा दोस्त मिला नहीं करते।।
Mujhe mere Kal ki Fikar Aaj bhi nahi hai..
Par Khuwahish tO tujhe Paane ki Qayamat tak rahegi..