मेरी हर नजर में बसे हो तुम मेरी हर कलम पर…
लिखे हो तुम तुम्हें सोच लिया तो…
मेरी शायरी ना लिख सकुं वो खयाल हो तुम…
अरमान ही बरसो तक जला करते है हमेशा ,
इंसान तो इक पल मे खाक हो जाता है !!
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।
कश्ती है, पुरानी मगर दरिया बदल गया।
मेरी तलाश का भी जरिया बदल गया।
ना शक्ल बदली, ना ही बदला मेरा किरदार,
बस लोगों को देखने का नजरिया बदल गया।
तेरे सीने से लगकर तेरी आरजू बन जाऊँ,
तेरी साँसो से मिलकर तेरी खुश्बू बन जाऊँ,
फासले ना रहें कोई तेरे मेरे दरमिआँ,
मैं...मैं ना रहूँ बस तू ही तू बन जाऊँ।