"ना जाने कब फिर शहर बंद हो जाये,
एक बार नज़र भर देखना चाहता हूँ,
कई दिनों से एक ख़त किताबों में है,
अब उसके हाथो में दे देना चाहता हूँ l"
कुछ इस तरह से वफ़ा की मिसाल देता हूँ
सवाल करता है कोई तो टाल देता हूँ
उसी से खाता हूँ अक्सर फरेब मंजिल का
मैं जिसके पाँव से काँटा निकाल देता हु …
Apni tanhaayi se tang aa kar..
Bahut se aainey khareed laya hun …
प्यार के समंदर में सब डूबना चाहते हैं,प्यार में कुछ खोते हैं तो कुछ पते हैं,प्यार तो एक गुलाब है जिसे सब तोडना चाहते हैहम तो इस गुलाब को चूमना चाहते हैं.
वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,डरता है दिल उनकी रुसवाई से,और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते |