चरण मंदिर तक पहुंचाते हैं
और आचरण भगवान् तक
जिनका कद ऊँचा होता है
वो दूसरों से झुक कर ही बात करते हैं
संकट के समय धैर्य धारण करना
मानो आधी लड़ाई जीत लेना है
जिसकी नीति अच्छी होगी,
उसकी हमेशा उन्नत होगी,
“मैं श्रेष्ट हूँ”… यह आत्मविश्वास है,
लेकिन
“सिर्फ मैं ही श्रेष्ट हूँ”…यह अहंकार है।
बुराई को देखना और सुनना ही
बुराई की शुरुआत है