वफ़ा तुझ से ऐ बेवफ़ा चाहता हूँ
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
अब तुझे न सोचू तो, जिस्म टूटने-सा लगता है..
एक वक़्त गुजरा है तेरे नाम का नशा करते~करते !
बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह,
हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं,
ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक,
कसम तुम्हारी तुम्हें इतना प्यार करते हैं।
Agar Bhigne Ka Itna Hi Shaukh Hai Baarish Me,To Dekho Meri Aankho Me,Baarish To Har Ek Ke Liye Barasti Hai,Lekin Ye Aankhe Sirf Tumhare Liye Barasti Hai..
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।