हाल तेरा हर वक़्त पूछ नहीं पाता,ये ना समझना की याद नहीं आता lहर पहर कुछ नहीं बदलता,ये आदत है मेरी, इस पर बस मेरा नहीं चलता
अब तो शाम-ओ-सहर मुझे रहता हैं बस खयाल तेराकुछ इस कदर दुआओ सा मिला हैं मुझे साथ तेरा,की अब कोई शिकवा और शिकायत नही उस खुदा सेबस एक तुम्हे पाकर खुशियो से भर गया ये दामन मेरा
Aa Bichadne Ka Koi Aur Tareeqa DhoodhenPyyar Badhta Hai Meri Jaaan Khafa Rahne Se
अपने साये से भी अश्कों को छुपा कर रोना
जब भी रोना तो चिरागों को बुझा कर रोना
जहाँ चोट खाना वहां मुस्कुराना
मगर इस अदा से के रोये सारा ज़माना
Kitna pyar karte hai hum unse,
Kaash unko bhi yeh ehsaas ho jaye,
Magar aisa na ho ke woh hosh mein tab aaye,
Jab hum gehri neend mein so jaye…