हम अपने इख़्तियार की हद से गुजर गए,चाहा तुम्हें तो प्यार की हद से गुजर गए,
जागी है अपने दिल में गुलाबों की आरज़ू,जब मौसम-ए-बहार की हद से गुजर गए।
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता ,
एक ही शख्स था क्या पुरे जहान में .....
मैं उसका हूँ, यह तो मैं जान गया हों लेकिन,
वह किस का है, ये सवाल मुझे सोने नहीं देता......
तुम्हे हक है अपनी जिन्दगी जैसे चाहे जीयो तुम,
ज़रा एक पल के लिये सोचना मेरी ज़िन्दगी हो तुम….॥
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ।
हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की,और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की,शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है,क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की!