सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात कहाँ
अपने अश्क मुसलसल बरसें अपनी-सी बरसात कहाँ।।
Mai To Chirag Hu Tere Aashiyane Ka
Kabhi Na Kabhi To Bujh Jaunga
Aaj Shikayat Hai Tujhe Mere Ujaale Se
Kal Andhere Mein Bahot Yaad Aaunga…
“तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं”….
Lo Aaj Phir Ronay Laga Hai Asmaan,
Ban Ke Barish..
Shayad Aaj us ko phir
Ehsas Hua Hai Meri Tanhai Ka!
मैंने कहा की बहुत प्यार आता है तुम पर,
वो मुस्कुरा की बोले और तुम्हे आता ही क्या है......
चलो अच्छा हुआ काम आ गयी दीवानगी अपनी,
वरना हम ज़माने भर को अपनी मोहब्बत समझाने कहाँ जाते?