ये मिलावटी रिश्तो का दौर है साहब..
यहाँ नफरतो से इल्जाम भी सादगी के लिबास में लगाए जाते है..
अगर तुमसे कोई पूछे बताओ ज़िन्दगी क्या है,हथेली पर जरा सी राख़ रखना और उड़ा देना।
“उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना करे ,
हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखें हैं…… !!
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
Har Safalta Par aapka Naam Ho,Aapke Har Decision Par Kaamyabhi Ka Mukam Ho,Thand Aa Gayi Hai Dhyan Rakhna,Main nahi Chahta aapko sardi aur jukaam Ho.