वफ़ा निभा के वो हमे कुछ दे ना सके,
पर बहुत कुछ दे गये जब वो बेवफा हुए
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब,कि सारी उम्र हम अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे।
Yaad rahega ye dour- E hayaat humko
Ki tarse the zindgi me zindgi ke liye
वो मुस्कुरा के मुकरने
की अदा जानता है
मैं भी आदत बदल
लेता तो सुकून में होता
होता है होश तो तुम नही रहतेहोते हो तुम तो होश नही रहता !!
होता है होश तो तुम नही रहते
होते हो तुम तो होश नही रहता !!