बड़े खुशकिस्मत होते वे लोग जिन्हे
"समय" और "समझ" दोनों एक साथ मिलती है
क्यूंकि अक्सर "समय" पर "समझ" नहीं आती
और जब "समझ" आती है तो "समय" हाथ से
निकल जाता है
हाथ में घडी कोई भी हो, लेकिन वक़्त अपना होना चाहिए
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
खुद की पर्वा किए बिना दिन रात अन्न उपजाता है, सलाम है इस धरती माँ के पुत्र को जिसके कारण हमारा जीवन मुस्काता है।
छत टपकती हैं, .. उसके कच्चे घर की……
फिर भी वो किसान करता हैं दुआ बारिश की..
आकाश से ऊँचा कौन – पिता
धरती से बड़ा कौन – माता