हर रात जान बूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला…
शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले
Yeh Mat Samajh Tere Kabil Nahi Hain Hum,Tadap Rahe Hain Woh Jinhein Haasil Nahi Hain Hum.
कुछ अरमान उन बारीश कि बुंद कि तरह होते है,
जिनको छुने कि ख्वाहिश में,हथेलिया तो गिली हो जाती ,
पर हाथ हमेशा खाली रेह जाते है….
Teri Kami Khalti Rahti Hai Sada,
Ek Be Naam Tasweer Ki Tarah.
जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं,
क्या समझते हो उसे कोई गम नहीं,
तुम तड़प कर रो दिये तो क्या हुआ,
गम छुपा के हंसने वाले भी कम नहीं.