“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”
इतना भी करम उनका कोई कम तो नहीं है,
गम देके वो पूछे हैं कोई गम तो नहीं है,
चल मान लिया तेरा कोई दोष नहीं है,
हालांकि दलीलों में तेरी दम तो नहीं है
बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह,
हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं,
ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक,
कसम तुम्हारी तुम्हें इतना प्यार करते हैं।
साधू:-बच्चा, तुझे स्वर्ग मिलेगा,लाओ कुछ दक्षिणा दे जाओ।लड़का:-ठीक है दक्षिणा में आपको मैंने दिल्ली दी।आज से दिल्ली आपकी हुई।साधू :-दिल्ली क्या तुम्हारी है ?जो मुझे दे रहे हो।लड़का :-तो स्वर्ग क्या तेरे बाप ने खरीद रखा है,जो तू उधर के प्लाट यहाँ बांट रहा है।
क्रोध हमेशा मनुष्य को तब आता है
जब वह अपने आप को कमज़ोर और हारा हुआ पाता है