नीम का पेड़ था
बरसात थी और झूला था
गाँव में गुज़रा ज़माना भी ग़ज़ल जैसा था
खन खना खन है ख्यालों मेंजरुर आज उसने कंगन पहने होंगे
आपकी पलकों पर रह जाये कोई!
आपकी सांसो पर नाम लिख जाये कोई!
चलो वादा रहा भूल जाना हमें!
अगर हमसे अच्छा दोस्त मिल जाये कोई
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम।
नहीं ‘मालूम ‘हसरत है या तू मेरी मोहब्बत है,बस इतना जानता हूं कि मुझको तेरी जरूरत है।