मेरे-तेरे इश्क़ की छाँव में… जल-जलकर!
काला ना पड़ जाऊ कहीं !
तू मुझे हुस्न की धुप का
एक टुकड़ा दे…!
मुझे भी जरुरुत है तेरी बाहो की।दुनिया के वजूद और दुनिया के रास्ते बहुत कमजोर है.
आज हम भी एक नेक काम कर आए,
दिल की वसीयत किसी के नाम कर आए,
प्यार हैं उनसे ये जानते हैं वो……,
मज़बूरी थी जो झुकी नज़रों से इनकार कर आए
“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”
मुस्कुराते पलको पे सनम चले आते हैं,आप क्या जानो कहाँ से हमारे गम आते हैं,आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं,जहाँ किसी ने कहा था कि ठहरो हम अभी आते है।