आंसुओं की बूँदें हैं या आँखों की नमी है,न ऊपर आसमां है न नीचे ज़मी है,यह कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,उसी की ज़रूरत है और उसी की कमी है..
हम आज भी शतरंज़ का खेलअकेले ही खेलते हे ,क्युकी दोस्तों के खिलाफ चालचलना हमे आता नही ..।
ये वक्त की नजाकत हैबदलते दौर की मजबूरी है।लड़के को पराठेऔरलड़की को कराटेसिखाना बहुत जरूरी है।आत्म -निर्भर बनो.
Main Jo Chahu To Tod Du Naata Tumse
Par Mein Buzdil Hu
Maut Se Darr Lagta Hai …
शिव की शक्ति शिव की भक्ति
ख़ुशी की बहार मिले शिवरात्रि के पवन अवसर पर
आपको ज़िन्दगी की एक अच्छी नई शुरुवात मिले !
शिवरात्रि की बधाई