जब हमें बोलना भी नही आता था,
तब भी हमारी हर एक बात समझ जाती थी माँ.
और आज जब हम बोलना सीख गये,
तो बात-बात पर बोलते हैं, “छोड़ो आप नहीं समझोगे माँ”
Tum Laut k anay ka takalluf mat
Karna,
Hum Ek mohabbat ko Do baar Nahi kartay…
मैंने ज़माने के एक बीते दोर को देखा है
दिल के सुकून को और गलियों के शोर को देखा है
मैं जानता हूँ की कैसे बदल जाते हैं इन्सान अक्सर
मैंने कई बार अपने अंदर किसी ओर को देखा है।
क़सूर उनका नहीं,जो मुझसे दूरियाँ बना लेते है….
रिवाज है ज़माने में,पढ़ी किताबें ना पढ़ने का.....
सोच को बदलो, सितारे बदल जायेंगे
नजर को बदलो, नज़ारे बदल जायेंगे
कश्तियाँ बदलने की जरुरत नहीं.
दिशाओं को बदलो, किनारे बदल जायेंगे