जिनके लिए हम लिखते है ,अक्सर , उनको ही हम कुछ लिख नहीं पाते !!
फिर उसी बेवफा पे मरते हैं,फिर वही ज़िन्दगी हमारी है ।
तेरे होने से बोलने लगी थी दीवारें भी,हँसी निकलने लगी थी हर कोने से भी lअब ये आलम है की,मैं भी चुप हूँ,और सब खामोश है l
"तुमसे हुई बातें,मैं दोबारा खुद से कर जाता हूँ,फिर वही बात मैं कागज़ पे लिख जाता हूँ l"