खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा,
अभी और उड़ान बाकी है, जमीन नहीं है
मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है।
Our strength grows
out of our weakness.
"योग इंसान को स्वस्थ और
निराकार बनता है
ज़िन्दगी जब भी मुझे लगा मैंने तुझे पढ़ लिया,
लेकिन न जाने क्यों कम्बख़्त तूने एक और पन्ना खोल दिया
जिंदगी को सफल बनाने के लिए बातों से नही रातों से लड़ना पड़ता है