दोस्त की ख़ामोशी को मैं समझ नहीं पाया,चेहरे पर मुस्कान रखी और अकेले में आंसू बहाया।
मुझको ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से तेरी याद वाक़िफ़ हो गयी है मेरे हर ठिकाने से
जब से बाजी, वफा की हारे हैं.
दोस्तों, हम भी गम के मारे हैं.
तुम हमारे सिवा,सभी के हो,
हम किसी के नहीं,तुम्हारे हैं
वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं,
ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैं
निकलते है तेरे आशिया के आगे से,
सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा,
खिड़की से तेरी सूरत न सही
तेरा साया तो नजर आएगा…!!