तुझे शब्दों में लिखना आसान नहीं,
तू मेरा हिस्सा है कोई दास्तान नहीं!
जरा सा किस्सा था मैं,
तुमसे मिला, दास्तां हो गया!
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दो शब्दों में सिमटी है मेरी मुहब्बत की दास्तान,उसे टूट कर चाहा और चाह कर टूट गये।
जब कभी सिमटोगे तुम...मेरी इन बाहों में आकर मोहब्बतकी दास्तां मैं नहीं मेरी धड़कने सुनाएंगी।
मेरी इन बाहों में आकर मोहब्बत
की दास्तां मैं नहीं मेरी धड़कने सुनाएंगी।
उनकी पलकों से शुरू हुयी दास्तान-ए-मुहब्बत,
जिनका झुकना भी क़यामत, जिनका उठना ही क़यामत. .!!
क्या दास्तान सुनाऊं तुमको अपनी मोहब्बत कीबस मिलकर बिछड़ गया महबूब इतना जान लो