अक्सर, बेवजह - बेकसूर होते हुए भी,
लोग दिल तोड़ जाते हैं हमारा। और
हम बस कोने में बैठे, रोते हैं।
खुद को ही बेवजह कोसते हुए।
हवा भी बेकसूर ,दिया भी बेकसूर ।हवा को चलना जरूरी है और , दिया को जलना जरूरी है।।
हवा को चलना जरूरी है और ,
दिया को जलना जरूरी है।।
मैं एक बेक़सूर वारदात की तरह जहाँ की तहाँ रही,तुम गवाहों के बयानो की तरह बदलते चले गए।
मैं एक बेक़सूर वारदात की तरह जहाँ की तहाँ रही,
तुम गवाहों के बयानो की तरह बदलते चले गए।
निगाहें फेर वो जो मुझसे दूर बैठे हैं,उनको पता भी नही हम बेकसूर बैठे हैं.!!
निगाहें फेर वो जो मुझसे दूर बैठे हैं,
उनको पता भी नही हम बेकसूर बैठे हैं.!!