तब्दीली जब भी आती है मौसमों की अदाओं में
किसी का यूं बदल जाना बहुत ही याद आता है
मगर रिश्ता आज भी वही पुराना है।
बादल का टुकड़ा है,
या ख़याल तुम्हारा..!!
ढलती शाम में ,
उफ़्फ़्फ ये नज़ारा तुम्हारा....!!!!
वहां तक चले चलो जहाँ तक साथ मुमकिन है,
जहाँ हालात बदलेंगे वहां तुम भी बदल जाना।
कभी बादल, कभी बारिश, कभी उम्मीद के झरने,
तेरे अहसास ने छू कर मुझे क्या-क्या बना डाला!
लम्हो में बदल जाते हैं मौसम के तेवर…
कुदरत की नजाकत भी हसीनो से कम नहीं!