वक्त, ऐतबार और इज्जत ये ऐसे परिंदे हैं,
जो एक बार उड़ जाए तो वापस नहीं आते।
न बात हुई न ऐतबार किया, न ज़िक्र किया
न इज़्हार किया,
सज़दे किए, इंतेज़ार किया, तुझे छुआ नहीं
पर प्यार किया..
आप का एतबार कौन करे,
रोज़ का इंतिज़ार कौन करे!
बड़े मशहुर होंगे आप पर ऐतबार नही हैं,
ये हमारा दिल है जनाब कोई खैरात नहीं है।
हर एक शख्स के चेहरे पर हैं नकाब
हर नक़ाब के पीछे एक मुस्कान
हर मुस्कान के पीछे एक राज
ऐसे में क्यों ना हो प्यार पर ऐतबार