तन्हाई में मुश्कुराना भी इश्क है,और इस बात को छुपाना भी इश्क है।
" एक झूठ बोल के तुम्हें मैं,अपने पास रख लेता मगर,साथी मैं लंबे सफऱ का था,इसलिए सच बोल दिया...l"
मेरा दिल ...तो तुम्हारे शहर के नाम से ही धड़कने लगता है।
वक़्त मिले तो मेरे घर तक चले आना कभी,तेरी खुश्बू के मोहताज़ मेरे गुलदस्ते आज भी हैं.
एक आवाज़, दिल को राहत दे गई,जल्दी बीते ये दिन चाहत दे गई l
"ना जाने कब फिर शहर बंद हो जाये,
एक बार नज़र भर देखना चाहता हूँ,
कई दिनों से एक ख़त किताबों में है,
अब उसके हाथो में दे देना चाहता हूँ l"