डायरी चुराने वाली लड़की

दिसंबर की सर्द रात थी, अमन अपने फ़्लैट से करीब आठ बजे निकलकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के गलियारों से होता हुआ आर्ट फैकल्टी की तरफ जा रहा था. 

सर्दी बहुत तेज़ थी इसलिए उसने उसने एक सफ़ेद रंग की मख़मली कश्मीरी शॉल ओढ़ हुए फैकल्टी ऑफ़ साइंस के रास्ते से होता हुआ धीरे धीरे चला जा रहा था. अमन अपनी पीएचडी के लिए दिल्ली में पिछले 5 सालों से रह रहा था लेकिन इन बीते 5 सालों में उसने इतनी भयंकर ठंड कभी भी दिल्ली में पड़ते हुए नहीं देखी थी . वैसे तो दिल्ली यूनिवर्सिटी के नार्थ कैंपस के ये रास्ते तो रात भर भीड़ से भरे रहते थे लेकिन आज पहली बार ये सड़के बहुत ही ख़ाली ख़ाली से दिख रहे थे ऐसा लग रहा था कि दिसंबर की सर्दी ने पूरे कैंपस में कहर ढह दिया हो इक्के-दूक्के प्रेमी कबूतर एक दूसरे का हाथ थामें हुए चल रहे थे लेकिन ये बहुत काम लोग थे. जिन्हें आसानी से उँगलियों पर गिना जा सकता था.  आर्ट फैकल्टी पर पहुँचकर उसने एक टपरी से छोटी गोल्ड़फ्लॅग ली और अपने जेब से लाइटर निकालकर उसे जलाने ही वाला था कि पीछे से एक अनजानी सी आवाज़ ने उससे कहा, " लाइटर प्लीज!"

उसने बिना पीछे मुड़े धीरे से लाइटर पास कर दिया, कुछ सेकंड बाद उसने देखा की वो लड़की लाइटर से अपना सिगरेट जलाने की कोशिश कर रही थी लेकिन बार बार चल रही तेज़ हवाओं की वजह से वो बुझ जा रही थी. अमन ने कहा, "मे आई हेल्प यू? इफ यू डोंट माइंड!

उसने कोई जवाब नहीं दिया सिर्फ़ अपना सर हाँ में हिला दिया.  अमन ने उसके हाथ से लाइटर लिया और उसने धीरे से उसने सुर्ख़ ग़ुलाबी होंठों तक अपना हाथ लेकर गया और सिगरेट जला दी. उसने थैंक्यू का इशारा किया और वहां से पटेल चेस्ट की तरफ चल दी. 

अमन ने अपनी गोल्ड़फ्लॅग जलाई और धीरे धीरे उसके धुंए में अपनी सारे टेंशनों को उड़ता हुआ वहीं पीने लगा. कुछ देर बाद उसने दुकान वाले से कहा भैया एक कप चाय मिलेगी? दुकान दार ने बोला नहीं भैया जी चाय ख़त्म हो गयी. तो दोबारा बना दीजिये. नहीं बना सकते दूध भी नहीं हैं भैया. अब तो आपको पटेल चेस्ट ही जाना पड़ेगा वहीं पर चाय मिलेगी.  

अमन ने अपनी सिगरेट से आख़िरी कश लिया और उसको नीचे फेककर अपने पैरों से इस तरह रौंद के आगे बढ़ गया जैसे समाज अपने विकास के लिए हर रोज तमाम लोगों के सपनों को रौंद देते हैं, खैर. 

उसने अपने पैरों की गति तेज़ खुद कर दी थी, या  शायद कोई इससे अचानक उसे उस तरफ खींचने लगा ये तो उसे नहीं मालूम लेकिन हां वो बहुत जल्दी पटेल चेस्ट पहुँच गया इतना तो उसे अंदाज़ा हो गया था. उसने सामने की टपरी पर जाकर दुकान वाले से कहा, भैया एक कुल्हड़ वाली चाय देना और अपने जेब से एक बार फिर से उसने दूसरी सिगरेट निकली और पास में बैठकर पीने लगा. उसने अभी दो तीन ही कश भरी होंगी की एक आहट से वो चौंक गया, मानों उसको किसी ने गहरी नींद से झंकझोर के उठा दिया. सामने देखा तो वही लड़की खड़ी थी, वहीं काली ख़ूबसूरत आँखें वहीं सुर्ख़ ग़ुलाबी होंठ और वही तेवर. 

लेकिन इस बार वो फ़ोन पर किसी को डांटते हुए दिखाई दे रही थी और इस शोर से ही तो अमन का ध्यान भंग हुआ था. तभी दुकान वाले ने लेकर चाय रख दी. अमन उस लड़की को ही देखे जा रहा था, इतनी कड़ाके की सर्दी में वो इधर से उधर घूम रही थी. थोड़ी देर बाद उसने अपनी चाय पीना शुरू किया और एक बार फिर से अपनी उधेड़बुन में खो गया. इसी बीच न जाने कब वो लड़की उसके पास वाले ख़ाली हिस्से में आकर बैठ गई अमन को इसका पता नहीं चला. एक बार फिर से उस लड़की ने सिगरेट के लिए अमन से लाइटर मांगी तो वो फिर से एक बार अपनी उधेड़बुन से बाहर आ गया. उसने उसे लाइटर दिया और इस बार सिगरेट जल गयी. 

इधर अमन ने देखा की उसकी चाय तो पूरी ठंडी हो गई थी, उसने दुकान वाले से कहा, भाई यार चाय तो ठंडी हो गयी दूसरी बना देना. भैया एक और चाय बना देना उस लड़की ने दुकानवाले से जोर से कहा. दुकानवाले ने अगले पांच मिनट में दो चाय वहां लेकर रख दी. इस बार कुल्हड़ नहीं लाये, कुल्हड़ नहीं हैं बाबूजी, वो आख़िरी था, अब कल आएगा. 

चलो कोई न!  अच्छा अभी कितने देर तक यहाँ पर रुकोगे? ज़्यादा नहीं बाबूजी एक आधे घंटे में दुकान बढ़ा देंगे. ठीक लेकिन जाने से पहले मैग्गी बना देना. 

इसके बाद उसने चाय पीना शुरू किया, अपने पॉकेट में फिर से सिगरेट के लिए हाथ डाला लेकिन इस बार जेब ख़ाली थी, उसने लास्ट वाली कुछ मिनटों पहले ही ख़त्म किया था. ये भी बहुत दिलचस्प बात थी की अमन को सिगरेट पीने की लत भी इसी शहर की देने हैं. आज से पांच साल पहले जब वो आया था तब वो सिगरेट नहीं पीता था,लेकिन धीरे धीरे ये न जाने कब उसके जीवन का एक पार्ट बन गया उसे खुद नहीं मालूम. 

उसने टपरी वाले से पूछा लेकिन वहां भी ख़त्म थी. ये लो! उस लड़की ने अपने पास से एक गोल्डफ़्लग निकालकर उसकी तरफ पास किया, अमन ने फॉर्मली थैंक्यू कहा और सिगरेट पीने लगा. थोड़ी देर बाद दोनों में बात चीत शुरू हुई, अमन ने नॉर्मली पूछा, आप यहाँ? क्या मैं पूछ सकता हूँ? 

यस व्हाई नॉट! एक्चुअली मैं ऐसे ही घूमने के लिए आई थी, एंड व्हॉट इज़ अबाउट यू? व्हाई यू आर हियर ? नथिंग जस्ट फॉर टी! और वहां फैकल्टी पर ख़त्म हो गई थी. 

बाबूजी मैं जाने वाला हूँ आप कहें तो मैग्गी बना दूँ? क्या आप भी खाएंगी? हम्म! उसने सर हिलाया. ठीक हैं भैया आप दो प्लेट बना दो. 

कितना टाइम लगेगा? बस 5 मिनट. ओके डू इट. 

सो आर यू अ स्कॉलर? नहीं मैं अपनी ग्रेजुएशन कर रही हूँ यहाँ मिरांडा हाउस से. तुम? तुम भी ग्रेजुएशन में हो? नहीं मैं पीएचडी कर रहा हूँ. ओह ग्रेट. 

वेल आई एम निधि, निधि रायज़ादा एंड यू आर? आई एम अमन प्रताप सिंह. तो तुम दिल्ली से ही हो? ना मैं मैं लखनऊ से हूँ. सच में! मैं भी वहीं से ही हूँ. रियली? व्हेरे इन लखनऊ? नियर बाई अलीबाग. ओके मैं गोमतीनगर से हूँ. 

भैया मैग्गी बन गयी.... 

हाँ अभी लाता हूँ.  मैग्गी दुकानवाले ने लाकर रख दी. 

रात काफी हो गई थी और टपरी बंद करके उसका मालिक भी चला गया था. काफी देर तक निधि और अमन वही बैठे रहे रहे. 

अच्छा अब हमें चलना चाहिए, रात के 11 बज गए हैं. हां! वैसे तुम्हें किस तरफ जाना हैं? यहीं मल्कागंज में ही मेरा फ्लैट हैं और तुम? मुझे तो हॉस्टल जाना हैं लेकिन.. 

लेकिन क्या? एक्चुअली आई डोंट थिंक की हॉस्टल ओपन होगा. तो फिर कहा जाओगी?

अभी कुछ सोचा नहीं हैं, शायद फ्रेंड के रूम पर. इसके बाद निधि ने अपने फ्रेंड को कॉल किया. द नंबर यू ट्राइंग टू रीच इज़ ऑउट ऑफ़ कवरेज एरिया. 

उसने दोबारा तरय किया और फिर भी कॉल नहीं लगा. क्या हुआ? कॉल नहीं लग रहा? 

हाँ कॉल तो नहीं लग रहा हैं लेकिन मैं अपने एक और फ्रेंड के पास कॉल करती हूँ मे बी वो उठा ले?

नदी ने बहुत कोशिश की लेकिन किसी से बात नहीं हुई. 

अगर तुम चाहो तो मेरे फ्लैट पर रह सकती और कल सुबह चली जाना. अरे नहीं आपको ख़ामख़ा क्यों तालीफ़ दूँ. फिर कुछ देर सोचने के बाद दोनों वहां से मल्कागंज की तरफ चल पड़े.  10 मिनट में दोनों फ्लैट पर आ गए. अच्छा तुम एक काम करो यहाँ रुको मैं रूम थोड़ा सा ऑरेंज कर देता हूँ मेरे बुक्स ऐसे वैसे फेके होंगे. इतना कहकर अमन ने रूम में बेड पर पड़े हुए क़िताबों को समेटकर टेबल पर रखा और एक बिस्तर उठाकर हॉल में ले आया और कहा, आप अब रूम में ही जाकर सो जाओ. और तुम कहा सोने जा रहे हो? कहीं नहीं मैं यही हॉल में ही सो जाऊंगा. अगर कुछ खाना होगा तो उधर फ्रीज़ में ब्रेड बटर और चीज़ पड़ी होगी आप खा लेना. बात करते करते ही उसने अपना बेड लगाया और क़िताबों के जख़ीरों में से एकइंग्लिश नॉवेल  लाकर अपने पास रख लिया और निधि कमरे में चली गई. रात बीत रही थी और इधर अमन ने नॉवेल पढ़ते पढ़ते अपने पास में रखे रेडियो पर 92.7 बिग एफएम को धीरे आवाज़ पर चला दिया. उस समय पुराने गानों की श्रंखला चल रही थी और उन गानों की मिठास में वो हॉल में डिम डिम हो रही लाइट को देख रहा था कि तभी निधि कमरे से बाहर निकली और उसने पूछा, पानी कहाँ? मुझे मिलेगा क्या? हां वो भी फ्रीज़ में हैं अगर तुम्हें नार्मल पीना हो तो उसी के ऊपर एक लास्ट बोतल पड़ी हैं. निधि धीरे से फ्रीज़ के पास गयी उसने पानी का बोतल लिया और फ्रीज़ में से ब्रेड निकालने के लिए उसे खोला तभी उसने देखा की वहां पर एक ओल्ड मोंक की आख़िर बोतल पड़ी थी. वो वापस अपने कमरे की तरफ बढ़ी ही थी कि उसने पूछ लिया, क्या तुम पीते भी हो? अमन ने सिर्फ़ सर हिला दिया और वापस गाने की धुन में खो गया. निधि को नींद नहीं आ रही थी तो वो भी वहीं बैठ गई. अच्छा वो गिटार भी तुम ही बजाते हो या किसी दोस्त का हैं? मेरा हैं.. अमन ने बिना उसकी तरफ देखे ही जवाब दिया. 

अच्छा अगर आप बुरा न माने तो एक बात पूछूं? हाँ बोलिये, मैं क्यों बुरा मानूँगा?  तुम शुरू से ही इतने इंट्रोवर्ट हो क्या? या तुम कम्फर्ट नहीं फील कर रहे हो? नहीं ऐसी कोई बात नहीं मैं ऐसा ही हूँ. आर यू सिंगल? नहीं अभी पिछले महीने ही मेरा ब्रेकअप हुआ हैं. ओह सो सॉरी. इट फाइन यू डोंट हैवे तो बी सॉरी. 

तुम? तुम भी सिंगल हो क्या? नहीं नहीं मैं इन सब में अब नहीं पड़ती. अच्छा सुनो क्या हम बेयर पी सकते हैं? हां बट आई डोंट हैवे वन. अरे हैं ना निधि ने फ्रीज़ की तरफ हाथ दिखाती हुई बोली. ओह अच्छा वो रम हैं. हां वही अगर तुम कहो.. ठीक हैं. निधि ने फ्रीज़ में से ओल्ड मोंक की बोतल ले आई उसे दो कांच के गिलास में लाकर दिया. दोनों ने पीना शुरू किया, इसी बीच निधि ने रेडियो की आवाज़ बढ़ा दी और ऐसा लग रहा था की मानो ये रात बीतने के बजाय अभी ठहर गई हो. अच्छा तुम उस समय फ़ोन पर किसे गाली दे रही थी? अरे वो मेरा एक्स था, उसी का फ़ोन आया था.... 

अच्छा तो तुमने फिर कोई गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बनाई? उसके बाद उस जैसी कोई दूसरी मिली ही नहीं...... 

उसके जैसी तो नहीं मिलेगी लेकिन हां शायद उससे बेहतर कोई मिल जाए... दोनों को हंसी आ गयी. वेल यू आर सो फनी एंड सो बोल्ड. 

अच्छा अब सो जाओ सुबह होने वाली हैं. इसके बाद निधि वापस अपने कमरे में चली गई और इधर अमन धीरे धीरे नॉवेल पढ़ते पढ़ते सो गया. सुबह जब वो उठा तो उसने देखा की निधि वहां से जा चुकी थी उसने एक चिठ्ठी वही पर रख दिया था. अमन ने उस चिठ्ठी को उठाई और पढ़ने लगा जिसमें लिखा था, "थैंक्यू अमन फॉर द वंडरफुल नाईट एंड रम. मैंने न चाहते हुए भी आपकी डायरी पढ़ी उसके लिए सॉरी और ये मुझे इतनी पसंद आई की मैं इसे अपने साथ ले जा रही हूँ." 

शायद हम फिर मिलेंगे इसी तरह और इसी उम्मीद में आज भी अमन वहां पर रातों में चला जाया करता हैं.