दो साँपों की कहानी

दो साँपों की कहानी Story Of Two Snakes

माधवपुर राज्य में शिवदत्त नाम का एक राजा राज करता था. वह बहुत ही बहादुर और साहसी था लेकिन वो अपने पुत्र को लेकर बहुत ही परेशान रहता था. उसके पुत्र का स्वास्थ्य बहुत ही ख़राब रहता था राजा ने बहुत सारे ज्ञानी वैद्यों से उसका उपचार कराया लेकिन फिर भी उसके सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. 

दो साँपों की कहानी The Tale of Two Snakes

सभी ने राजा से कहा कि राजकुमार का जन्म एक ऐसे नक्षत्र में हुआ हैं की जिसकी वजह से इनके शरीर के अंदर एक ख़तरनाक सांप का वास हैं और वहीं इनके इस दशा का कारण हैं. राजा ने पूछा, इसका कोई तो उपचार होगा? तब सभी ने कहा की आप इनका विवाह करा दीजिये और उसी कन्या के साथ इनको राज्य से देश भम्रण पर भेज दीजिये और हिमालय के घने जंगलों में ही इनके इलाज का राज छुपा हैं. 

राजा ने उनकी बात मानकर राजकुमार का विवाह करा दिया और कुछ दिनों बाद अपने बहु और बेटे को देश भम्रण पर भेज दिया. वो दोनों कई महीनों तक जंगलों और अनेकों राज्य में घूमते रहे. एक साल बाद दोनों हिमालय के घने जंगलों में पहुँच गए, ये जंगल बहुत ही घने और ख़तरनाक थे. इनमें तरह तरह के विषैले सांप, जंगली जानवर और ख़तरनाक बेल भी थे. जो इंसानों की गंध पाके सजीव हो जाती थी और उन्हें अपने में जकड़कर मार देते थे. कई दिनों तक वे दोनों इन सभी मुसीबतों का सामना करते रहे. एक दिन एक जहरीला सांप उस राजकुमार के पास आ गया और उसे डंस लिया. लेकिन राजकुमारी ने देखा की राजकुमार को कुछ नहीं हुआ और वो सांप ही मर गया जो उसे डंस के गया था. राजकुमारी बहुत हैरान हो गयी. उसके बाद वो राजकुमार को उठाकर सामने एक गुफ़ा में चली गयी. वहां पर एक साधु ने राजकुमार को देखते ही उनके स्वास्थ्य के बारे में जान गए और उन्होंने राजकुमारी को राजकुमार के राज के बारे में बता दिया. अब राजकुमारी बहुत परेशान हो गई. साधु ने कहा, तुम परेशान मत हो इस बालक का इलाज़ यहीं इसी जंगल में छुपा हैं. दरसल जो सांप इसे काटने आया था उसी से इस सांप को मारा जा सकता हैं. तुम एक काम करों अपने पति को ले जाकर दीमकों के टीलों के पास सुला कर वहां एक पेड़ के पास छुप जाना और फिर तुम्हें इसके इलाज़ का राज पता चल जायेगा.  राजकुमारी ने वैसा ही किया और खुद पेड़ के पीछे जाकर छुप गई. थोड़ी देर बाद वहां एक सांप निकला और राजकुमार के अंदर वाले सांप को बुलाना लगा. इतने में राजकुमार के मुहं से वो सांप बाहर की तरफ झाँकने लगा. उन दोनों ने एक दूसरे से बात करनी शुरू कर दी. एक ने कहा, तुम इस आदमी के शरीर से निकल क्यों नहीं जाते? क्यों इससे परेशान किये हो? अगर राजकुमार जड़ीबूटियों का गर्म पानी पी लेगा, तो तुम मर जाओगे.

मुंह के अंदर वाले सांप ने कहा, तुम भी तो सोने की दो घड़ों की रक्षा अपनी ज़िंदगी को ख़तरे में डालकर करते हैं. अगर किसी ने गर्म तेल को डाला, तो तुम भी तो मर जाओगे.

राजकुमारी ने सारी  बातें सुन ली और उसने अपने पति को जड़ीबूटियों का गर्म पानी पीला दिया और उसके शरीर के अंदर का सांप तुरंत मर गया और राजकुमार पूरी तरह स्वस्थ हो गया और उन दोनों ने साधु का आशीर्वाद लेकर अपने राज्य में वापस आ गए. राजा बहुत ख़ुश हुआ और अपने पुत्र को राजगद्दी पर बैठा दिया. अब राजकुमार और उसकी पत्नी सुख पूर्वक रहने लगे.