लंगड़े सिपाही की बहादुरी

रामू एक बहुत ही प्यारा बच्चा था, उसके पास रंग-बिरंगे खिलौने थे. उनमें टिन के सिपाही की पूरी सेना भी थी, पर एक सिपाही लंगड़ा था.  खिलौनों में एक गत्ते का महल और एक नर्तकी भी थी.

रामू ने लंगड़े सिपाही में कुछ विशेषता देखी और उसे सेना का कप्तान बना दिया.  शाम के समय रामू जब बाहर खेलने जाता तो खिलौने सजीव होकर आपस में खेलना शुरु कर देते, कप्तान नर्तकी की सुंदरता से उसकी ओर आकर्षित होने लगा था.

एक दिन रामू  के मित्र आए, एक मित्र ने लंगड़े कप्तान को बेकार समझकर खिड़की से बाहर नाली में फेंक दिया, कप्तान बहता हुआ गटर चला गया और वहाँ से नदी में.

वहाँ उसे एक बड़ी मछली ने निगल लिया, वह मछली एक मछुआरे द्वारा पकड़ी गई. मछुआरे से उसे एक बावर्ची ने खरीद लिया, बावर्ची ने जब उसे काटा तो कप्तान बाहर निकला. 

कप्तान को वह जगह जानी पहचानी सी लगी,तभी उसे नर्तकी दिखाई दी. बावर्ची कप्तान को रामू  को देने जा रहा था कि अचानक उसका पैर एक छोटी गाड़ी पर पड़ा और बावर्ची फिसलकर गिर पड़ा. 

कप्तान हाथ से छूटकर अलाव में गिर पड़ा, कप्तान जलने लगा तभी हवा का झोंका नर्तकी को उड़ाकर आग में ले गया, अंततः कप्तान को उसकी नर्तकी मिल गई. उसने उस नर्तकी को बचा लिया और अब दोनों एक साथ रहने लगे.

शिक्षा : कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.