टोपीवाला और नक़लची बंदर

एक गाँव में एक टोपी वाला था जिसका नाम था रामू. वो नए नए रंग बिरंगे टोपियां बनाता और उसे एक टोकरी में रख कर गाँव गाँव बेचकर अपना गुज़ारा करता था. 

गाँव वालों को उसकी टोपियां बहुत पसंद आती थी. 

एक दिन बहुत गर्मी थी वो टोपियों की टोकरी सिर पर लेकर जा रहा था तभी उसे प्यास लगी और वो एक नदी के पास पानी पीने के लिए रुक गया. पानी पीने के बाद उसे नींद आने लगी और वो वहीँ बरगद के पेड़ के नीचे ही सो गया. उस पेड़ पर कुछ बंदर रहते थे, वो बहुत शरारती थे. उन्होंने उसकी टोकरी में से टोपी निकालकर पहन ली. जब वो जगा तो उसने देख की टक्करी खली थी, फिर उसने पेड़ पर देख तो उसे पता चला की उसकी टोपियां बंदरों के पास में हैं.  उसने बहुत देर तक उनसे टोपी वापस लेने के बारे में सोचा लेकिन बंदर बहुत ही दुष्ट थे. फिर अचानक उसे एक तरकीब सूझी और उसे अपने जेब से अपनी टोपी निकाली और उसे पहन लिया. तभी सभी बंदरों ने भी वैसा ही किया. उसने फिर अपनी टोपी उतार कर फेंक दी उसकी देखि देखा सभी बंदरों ने भी अपनी टोपी जमीन पर फेंक दी. उसने जल्दी से उन्हें समेटकर अपने गाँव चलाया गया और फिर उस पेड़ के पास कभी नहीं आया.