हवाएं..!
वृक्षों को झुका रही हैं….
बादल..! सूरज को छिपा रही हैं….
कलियां..! पुष्प बनकर खिल -खिला रही हैं….
भंवरा..! फूलों को देख गुनगुना रही हैं….
चिड़िया..! चहक- चहक कर मुस्कुरा रही हैं….
यह सावन मनभावन है
इस दफा तो बारिशें रूकती ही नहीं,
हमने क्या आसूं पिए की मौसम रो पड़े!
Kuch Nasha To Aapki Baat Ka HaiKuch Nasha To Dheemi Barsaat Ka HaiHumein Aap Yun Hi Sharabi Na KahiyeIs Dil Par Asar To Aap Se Mulakat Ka Hai.
ऐ सावन की बारिश जरा थम के बरसजब मेरा सनम आ जाए तो जम के बरसपहले ना बरस कि वो आ न सकेजब वो आ जाए तो इतना बरस कि वो जा न सके
तुम्हें पहली बारिश पसंद है और मुझे तुमतुम्हें हँसना पसंद है मुझे हँसते हुए तुम,तुम्हें हमसे बात करना पसंद है, मुझे बोलते हुए तुमतुम्हें सब कुछ पसंद हैं और मुझे बस तुम...