मोहब्बत भरी नजरों में ख्वाब मिलेंगे
कहीं कांटे तो कहीं गुलाब मिलेंगे
मेरे दिल की किताब को पढ़ के तो देखो
कहीं आपकी याद तो कहीं खुद आप मिलेंगे
जीत किसके लिए,हार किसके लिए,जिन्द गी भर यह तकरार किसके लिए,जो भी आया है वो जाऐगा एक दिन,फिर ये अहंकार किसके लिए।..
दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा…
बस याद रहे की मुड़ कर देखने की आदत इधर भी नही…
मुझे अपने कल की फ़िक्र आज भी नहीं है
लेकिन तुझे पाने की चाहत क़यामत तक रहेगी
फिर से मिले वो आज अजनबी से बनकर,और हमें आज फिर से मोहब्बत हो गई।