हिम्मत इतनी थी की समुन्दर भी पार
कर सकते थे और मजबूर इतना हुए की
दो बूँद आंसुओ ने डुबो दिया
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे,यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे,वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे..
आंसुओं की बूँदें हैं या आँखों की नमी है,न ऊपर आसमां है न नीचे ज़मी है,यह कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का,उसी की ज़रूरत है और उसी की कमी है..
आंखों के हर कतरे का बोझ उठाता था, उठाता हूँ और उठाता रहूँगा ।मगर आंसुओं को ना कभी बेवफा कहूँगा ।इस जन्म का जो कर्ज है अगले जन्म में जरूर बगैर कर्ज मुस्कराउंगा ।
हमसे पूछो क्या होता है पल पल बिताना,बहुत मुश्किल होता है दिल को समझाना,यार ज़िन्दगी तोह बीत जायेगी,बस मुश्किल होता है कुछ लोगो को भूल पाना. |