वो पढ़ न सकें मेरी आँखों से बात मेरे,
अब क्या अखबार में छपवा दूँ हालात मेरे!
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
पके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबु बनके बिखर जाते हो,
कुछ यूँ चला है तेरे इश्क का जादू,
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।
ना गिला है कोई हालात से,ना शिकायते है किसी की बात से,खुद ही सारे जुदा हुए,मेरी जिंदगी की किताब से..
गुज़रे दिनों की भूली हुई बात की तरह,आँखों में जागता है कोई रात की तरह,उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।