इस बारिश को देख कर मन भी भीग सा गया
बारिश के पानी को अपने हाथों में समेट लो,जितना आप समेट पाए उतना आप हमें चाहते हैऔर जितना ना समेट पाए उतना हम आप को चाहते है...
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,
ज्यादा भीगना मत..
अगर धूल गई सारी ग़लतफहमियां,
तो फिर बहुत याद आएंगे हम!!
मैं तेरे हिज़ार की बरसात में कब तक भीगू!!ऐसे मौसम में तो दीवारे भी गिर जाती है..
मौसम था बेकरार तुम्हें सोचते रहे,कल रात बार बार तुम्हें सोचते रहेबारिश हुई तो लग कर घर के दरवाजे से हमचुप चाप बेकरार तुम्हें सोचते रहे...