"सारी कायनात उदास सी लगती है,
मेरी हमसफऱ मुझसे खफ़ा जो रहती है,
कोई इशारा हो कोई समझाये उन्हें,
बरसती नहीं बूँद,जमीं इंतजार में फटती है l "
Barsat Ki Bheegi Raaton Mein Phir Koi Suhaani Yaad Aayi,Kuchh Apna Zamaana Yaad Aaya Kuchh Unki Jawaani Yaad Aayi,Hum Bhool Chuke They Jisne Hamein Duniya Mein Akela Chhor Diya,Jab Ghaur Kiya To Ek Soorat Jaani Pehchaani Yaad Aayi
बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँ,लेकिन मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे है..
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश हैना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है..
मौसम था बेकरार तुम्हें सोचते रहे,कल रात बार बार तुम्हें सोचते रहेबारिश हुई तो लग कर घर के दरवाजे से हमचुप चाप बेकरार तुम्हें सोचते रहे...